क्या हुआ कि नदी सुख कर
दुबली होती जा रही,
क्या हुआ कि धरती
आग भी उगलती जा रही ,
क्या हुआ कि मेघ
रूठकर चलते बने ,
क्या हुआ कि हवा
आंधी बनकर जाग उठी
क्या हुआ कि सागर
क्रोध में बौरा गया ,
क्या हुआ कि आदमी
अपना ही दुश्मन बन रहा ,
क्या हुआ कि प्रेम की
दुश्मन ही प्रेम बन रही ,
क्या हुआ कि ...........
दुबली होती जा रही,
क्या हुआ कि धरती
आग भी उगलती जा रही ,
क्या हुआ कि मेघ
रूठकर चलते बने ,
क्या हुआ कि हवा
आंधी बनकर जाग उठी
क्या हुआ कि सागर
क्रोध में बौरा गया ,
क्या हुआ कि आदमी
अपना ही दुश्मन बन रहा ,
क्या हुआ कि प्रेम की
दुश्मन ही प्रेम बन रही ,
क्या हुआ कि ...........
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