मन से मन की बात

मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
हँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी ।
सुनहरे पंख लगे हैं , उड़ान भरने दो
जो ख्वाब देखे हैं , पूरी करने दो ।
बदल नहीं सके जो ख्वाब, हकीकत जैसी
मन ही में ख्वाब को, हकीकत बनने दो ।
ख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
उड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
हँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी ।
सुनहरे पंख लगे हैं , उड़ान भरने दो
जो ख्वाब देखे हैं , पूरी करने दो ।
बदल नहीं सके जो ख्वाब, हकीकत जैसी
मन ही में ख्वाब को, हकीकत बनने दो ।
ख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
उड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
bahut sundar prastuti, ख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
जवाब देंहटाएंउड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
बहुत सुंदर ... मन की उड़ान जारी रहे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका प्रोत्साहन मिलता रहे .....
हटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
धन्यवाद
हटाएंबदल नहीं सके जो ख्वाब, हकीकत जैसी
जवाब देंहटाएंमन ही में ख्वाब को, हकीकत बनने दो,,,,सुंदर पक्तियाँ,,,,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
हंस के बोलता है मन, ज़िंदगी जितनी
उम्र की घाटियों से गुज़रते हुए
ऐसे सवालात लगातार हमारे रू-ब-रू आ खड़े होते हैं
और जवाब भी…
बहुत सुंदर डॉ. संध्या तिवारी जी !
अच्छी रचना है …
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
बनी रहे त्यौंहारों की ख़ुशियों हमेशा…
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
जवाब देंहटाएंहँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी ।
वाह ... बहुत खूब।
आकांक्षा सपने सकल, भर लें सफल उड़ान |
जवाब देंहटाएंमंजिल पर पहुंचे सही, काट सभी व्यवधान ||
मन को उनकी उड़ान भरने दो..
जवाब देंहटाएंसपने देखने दो..क्या पता सपने सच भी हो जाये...
सुन्दर भाव लिए रचना...
:-)
जवाब देंहटाएंख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
उड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
प्रस्तुतकर्ता Dr. sandhya tiwari पर 7:42 am कोई
करामाती इस्तेमाल किया है मन शब्द का ,बधाई
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंअनु
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें.
मन पंछी उन्मुक्त है, मन की बात न मान।
जवाब देंहटाएंजीवन एक यथार्थ है, इसको ले तू जान।।
मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
जवाब देंहटाएंहँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी । ... सोचती हूँ,ज़िन्दगी कितनी - कहता है मन ...जितनी उड़ान भर लो उतनी
उडान --जिंदगी जितनी ...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपधारे ;http://kpk-vichar.blogspot.in
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
:-)
बदल नहीं सके जो ख्वाब, हकीकत जैसी
जवाब देंहटाएंमन ही में ख्वाब को, हकीकत बनने दो ।
bahut prabhavshali bhav ke sath sundar rachana
मन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
जवाब देंहटाएंहँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी ।
सुंदर मन की सुंदर बात ......
सकारात्मक सोच ....सुंदर रचना ...
ख्बाब का हकीकत बनना अच्छा लगता हैं.......
जवाब देंहटाएंमन से पूछता है मन, उड़ान अब कितनी
जवाब देंहटाएंहँस के बोलता है मन, जिन्दगी जितनी ।SUNDAR..
धन्यवाद.......
जवाब देंहटाएंख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
जवाब देंहटाएंउड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
आदरणीया डॉ संध्या जी बहुत सुन्दर प्रेरक सन्देश काश ऐसा ही हो जाए समाज बन जाए ...आइये सदा धनात्मक रुख रखे चलें ...बधाई
भ्रमर 5
सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
जवाब देंहटाएंउड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
सुंदर मन की उड़ान ...!!
सुंदर रचना ...!!
शुभकामनायें।
उड़ान ओर पंख ... दोनों ही जरूरी हैं समग्रता बनाए रखने के लिए ...
जवाब देंहटाएंvery nice ....like it
जवाब देंहटाएंख्वाब तुमसे ही तो बनते हैं, ऐ मेरे मन
जवाब देंहटाएंउड़ान भरने दो मन को, मन हो जितनी ।
खूबसूरत अभिव्यक्ति .......