शनिवार, 20 अप्रैल 2013

दर्द को बिखरने न दो

दर्द को बिखरने न दो   

 


रोक लो आँसुओं  को
बादल बन बरसने न दो
दर्द को अकेले ही पी लो
बाँट कर बिखरने न दो ।

यादों के झरोखों से
चुन लो वो ख़ुशी
पायी थी जो कभी
उसे ही भरपूर जी लो
सिमटने न दो ।

छिटकती चांदनी को
फैला आँचल समेट  लो
तिमिर की ओढ़नी में सजा
थोड़ी देर सहेज लो
निकलने न दो ।

उम्मीदों से भरे जीवन को
परखो कठिनाइयों से
पर न भूलो अपने अस्तित्व को
सघर्षरत पहचान बना लो
मिटने न दो ।  

दर्द को महसूस करो
थोड़ी देर जी लो
खुद को उसमे उलझने न दो
 दर्द को बिखरने न दो ।  



गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

माँ शक्तिस्वरुपिनी


              माँ शक्तिस्वरुपिनी 
 



नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ सभी को ..................हम सभी आज से चैत्र नवरात्री में माँ की आराधना करेंगे । माँ वो शक्ति है जो सभी मुसीबतों को स्वयं सह लेती है और हमारे लिए ढाल  बनकर खड़ी  रहती है । माँ का सर्वोत्तम रूप जननी का है और हर  काल  में वो  इस रूप में पूज्य रही है । वीर पांडवों को उनकी माता कुंती के नाम से कुंती पुत्र संबोधित किया जाता था जो माता की महत्ता को दर्शाता है । वीर हनुमान का एक अन्य नाम आंजनेय है जो उनकी माता अंजनी के नाम से ही पड़ा । प्राचीन काल से ही वीर पुत्रों को जन्म देने वाली माता समाज में पूजनीय रही है और उसका पुत्र अपनी माता के नाम से ही जाना जाता रहा है । भगवान  कृष्ण भी देवकीसुत और यशोदा नंदन के नाम से पूज्य हैं , उनका बीज मन्त्र -ऊं क्लिं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता है और इस मन्त्र में उन्हें माता के नाम से ही संबोधित किया गया है । 
           भारतीय समाज प्राचीन काल से ही माता की महत्ता को सर्वोपरि मानता था, इसका प्रमाण सैन्धव घाटी सभ्यता से प्राप्त  मातरि देवी की मूर्तियों से मिलता है । ये मूर्तियाँ अत्यधिक मात्रा में वहां से मिली हैं जो यह स्पष्ट करती हैं कि वहां माता  के रूप की पूजा होती थी । ऋग्वैदिक समाज आर्यों का था और उन्होंने माता की शक्ति को महत्त्व देते हुए उनकी आराधना की है । आगे चलकर माता की प्रतिमाये उनके विभिन्न स्वरूपों को दर्शाती हुई निर्मित होने लगी । हमारा भारतीय समाज उनके नौ स्वरूपों की उपासना बहुत ही श्रद्धा और आस्था से करता है । उपवास और माँ की आराधना में शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है और लोग आस्था के समंदर में  पुरे नौ दिन डुबकी लगाते  हैं । 
          माँ शब्द में जितनी शक्ति है उतनी शक्ति किसी भी शब्द में नहीं है । गांधारी वेशक अपने पुत्रों की करनी से दुखी थी लेकिन महाभारत युद्ध में उन्होंने अपने पुत्र दुर्योधन को वज्र बनाने के लिए अपनी सारी शक्ति प्रदान कर दी थी जो उन्होंने अपने तप से अर्जित की थी । माता के रूप में ही ये संभव था । 
                      हे माँ जगतजननी 
                     वरदायिनी , शक्तिस्वरुपिनी
                    कल्याणी , सबका  कल्याण कर दे 
                      विश्व  में शांति दे माँ शांति दे 

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

जागरूकता

                                                          जागरूकता 


हम महिलाओं का ध्यान भी  देश में राजनीतिक चालों की ओर  बरबस ही चला जाता है, क्योंकि जितनी चालें  हमारे पास हैं उतनी तो उनके पास बिलकुल नहीं हैं  हलाकि हम रोज रोज समाचारों में सब कुछ देखते-सुनते हैं लेकिन फिर अपने कामों में मशगूल  हो जाते हैं। अपने पसंदीदा नेता और पार्टी पर हमारा बयान  भी होता है , समर्थन  भी होता है लेकिन उसका परिणाम कुछ भी नहीं होता । नेताजी वादा तो अवश्य करते हैं लेकिन चुनावों के बाद भूल जाते हैं । यही सब तो होता है राजनीती में और हम भी उसमे बयानबाजी अपनी तरफ से जरुर करते हैं, भले ही वो बयान हमारे बीच ही रह जाती है ।
                 राजनीतिक चालों में नेताजी जरुर व्यस्त रहते हैं लेकिन आज की महिलाएं भी बहुत जागरूक हो गयी हैं। जब भी मौका मिलता है मुँह पर ही खरी-खरी सुना देती हैं और बेचारे नेताजी बगले झांकने लगते हैं । शिक्षित महिलाये तो सब कुछ समझती हैं और वक्त-वे-वक्त अपनी राय भी जाहिर करती हैं लेकिन अशिक्षित और पिछड़े तबके की महिलाएं भी खूब जागरूक हो गयी हैं । हर मुद्दे पर थोड़ी बहुत निगाह उनकी भी होती है और जो उनके लाभ का होता है उनपर टिका-टिप्पणी करने से बाज नहीं आती ।  मेरे पड़ोस में कुछ महिलाएं विधवा पेन्सन और वृद्धा पेन्सन उठाती हैं, जब भी उन्हें समय पर पैसा नहीं मिलता सरकार  को तो  खरी-खोटी सुनाती  ही है साथ ही नौकरशाहों को भी उनके कोप का भाजन बनना पड़ता है । मुझे उनके हौसले और जागरूकता को देखकर महसूस होता है कि वे हमसे भी कई कदम आगे हैं और हम कह सकते हैं कि हमारे  भारत की महिलायें अब  शक्ति के रूप में उभर कर आ रही हैं । हाल ही में एक महिला ने उसके साथ दुष्कर्म करने वाले शैतान को अपने ही घर में आग लगाकर मार डाला । आस-पड़ोस के सभी लोग उस महिला के साथ हैं भले ही पुलिस उसे पकड़कर ले गयी है । 
                 दिल्ली की दामिनी काण्ड ने इतनी जागरूकता फैलाई है कि अब किसी भी लड़की के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है और न ही उसे छुपाने की कोशिश की जा रही है । आवाज हर और से उठ रही है । घरों में उनकी आवाज दबाने वाले भी उनकी हिम्मत और जोश के आगे नतमस्तक हो गए हैं  और जो हाथ उनकी ओर धमकाने को उठते थे , वो अब सहारा भी बनने लगे हैं । जागरूकता इसी को तो कहतेहैं ।