शनिवार, 24 मार्च 2012
सोमवार, 12 मार्च 2012
ख्वाहिश
खुशियाँ पाने की तमन्ना थी
उड़कर बादलों से मिलने
और कुछ कहने की लालसा थी ।
आसमान से सितारे तोड़कर
किसी के आँचल में
भर देने की इच्छा थी ।
तितलियों से रंग चुराकर
जिन्दगी रंगीन
बनाने की ख्वाहिश थी।

अपने प्रियतम सागर से
मिलने की व्यग्रता थी ।
किसी कली की मुस्कुराहट पर
एक भ्रमर बनकर
गुंजन करने की चाहत थी ।
ऐ जिंदगी! तुझे भरपूर जीने के लिए

कदम बढ़ने की जरुरत थी ।
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