प्रयत्न
लहरें, बार-बार
किनारे से टकराकर
लौट जाती हैं ,
पुन: आती हैं
उसी वेग से
सहस के साथ
निडर होकर
पुन: लौट जाती है
विवश होकर
समझौता कर लेती हैं
परिस्थितियों से
पर प्रयत्नशील रहती हैं
इसी आशा में
कि मंजिल अवश्य मिलेगी
यद्यपि
बार- बार वे चोट खाती हैं
अन्दर पीड़ा महसूस करती हैं
पर अपनी व्यथा
व्यक्त नहीं करती
किनारे जब अभिमानी होकर
चुनौती देते हैं
तब वे भी
गर्जना करती हैं
पर उनके समक्छ
कभी झुकती नहीं
प्रत्न्शील रहती है
इसी आशा में
कि सफलता अवश्य मिलेगी.
प्रयत्न ही मंज़िल को करीब लाते हैं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
ham striyo ne harna nahi sikha ----pooja thanks
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 21 -06-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... कुछ जाने पहचाने तो कुछ नए चेहरे .
सुंदर सकारात्मक भाव.....
जवाब देंहटाएंसुंदर सकारात्मक भाव.....
जवाब देंहटाएंयूँ ही ..जीवन भी बार बार टकराने का नाम हैं
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