बहुत दिनों के बाद
बादलों की ओट से निकले
सूरज की किरणों ने
धरती की ओर देखा
तो पत्तों पर जमी
बादलों की ओट से निकले
सूरज की किरणों ने
धरती की ओर देखा
तो पत्तों पर जमी
ओस की बूंदों ने
चमकते हुए स्वागत में
हौले से मुस्कुराया
और शरमाते हुए
ढुलककर धरती की गोद में
सिमट गयी ,ये प्यार ही तो था .......
बहुत दिनों के बाद. .........
फूलो की पंखुड़ियों में बंद
भौरे ने आँखे खोली
एक मीठी अंगड़ाई के साथ
मदमस्त हो कदम डगमगाए
उड़ना भूल चुका था
ये प्यार ही तो था। .........
हौले से मुस्कुराया
और शरमाते हुए
ढुलककर धरती की गोद में
सिमट गयी ,ये प्यार ही तो था .......
बहुत दिनों के बाद. .........
फूलो की पंखुड़ियों में बंद
भौरे ने आँखे खोली
एक मीठी अंगड़ाई के साथ
मदमस्त हो कदम डगमगाए
उड़ना भूल चुका था
ये प्यार ही तो था। .........
बहुत दिनों के बाद -------