शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

हर ओर रंग ही वासंती 


















पिया वसंत जो आ गए 
सज गयी रंगों में प्रकृति 
पीले सरसों के खेत में
दिखी है वासंती ओढ़नी
पगडंडियों से गुजरती
ऋतुराज की प्रेयसी
बेखौफ, मदमस्त बहती
बयार ये वसंती
अमराइयों से झाँकती
मंजरियाँ डोलती
कुहू ........कुहू  गा उठती
रह - रह के कोयल प्रेमगीत
सोलहो श्रृंगार से सज 
नववधू मन मोहती 
मधुमास में पिया वसंत संग 
हर ओर रंग ही वासंती .................


18 टिप्‍पणियां:

  1. बसंत के माध्यम से प्रेम की अभिव्यक्ति .....

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  2. वसंत का सुन्दर चित्रण मन मोहक ...मन खिल खिल उठता है इस वासंती बयार से
    भ्रमर ५

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  3. मस्त परिंदा हो गया, पर निंदा से दूर |
    चोंच चोंच में चुलबुला, सारे दूर फितूर |
    सारे दूर फितूर, मगन है वह बसंत में |
    सारी खुशियाँ ढूंढ़, रही प्रियतमा कंत में |
    रति-अनंग शिव आज, करें धरती पर ज़िंदा |
    साधुवाद री सखी, जिए यह ब्लॉग परिंदा ||

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  4. वाह ताजगी का एहसास करा गयी यह रचना,

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  5. सुंदर यादें वसंत की ...
    बधाई !

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  6. हर शब्द की आपने अपनी 2 पहचान बना दी क्या खूब लिखा है "उम्दा "
    वहा वहा क्या खूब लिखा है जी आपने सुबान अल्ला
    मेरी नई रचना

    प्रेमविरह

    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  7. वाकई बसंत का उन्माद सब तरफ बिखरा हुआ है ......सुन्दर चित्र !

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  8. मंगलवार 12/03/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
    आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
    धन्यवाद .... !!

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  9. सुंदर रचना .....
    आप भी पधारो स्वागत है ...
    http://pankajkrsah.blogspot.com

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