गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013


 प्रेम का अहसास 
 

जो सुरूर छाया  हमपे 
मदहोश हो गए हम 
ख़ामोशी उनकी  समझी 
कि उनके हो गए हम ...........

जो बादलों से पूछी 
क्यों मस्त चल रहे वो 
तो मस्तियों से समझी 
धरती से मिल चुके वो ...........

जो गुनगुनाता भौरा 
खामोश हो गया तो 
फिर चमन ने समझा 
मदहोश हो गया वो ...............
 
जो ऋतु वसंत आया 
कोयल ने तान छेड़ी 
अमराइयों ने समझा 
कि प्रेम में वो डूबी .....................


24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रेम कविता...
    सुन्दर अहसास लिए...
    सुन्दर चित्र....
    :-)

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  2. बहुत सुंदर मनभावन अभिव्यक्ति ....

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 09/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना शामिल करने के लिए लेकिन मई ९ से १० फरवरी तक नेट से दूर रहूंगी, वापस आने पर हलचल में जरुर शामिल होंगी .....

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  5. बहुत प्यारी रचना...
    मन खुश खुश हुआ पढ़ कर...

    अनु

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  6. नयनाभिराम छबियों के साथ अहसास महक उठे हैं...

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  7. pyar ka mausam hai...sandhya ji...
    aapke rang bhi khil rahe hain!bahut sundar!

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  8. प्रेम कविता...
    सुन्दर अहसास लिए...
    सुन्दर चित्र....

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  9. लगता है सभी पे प्रेम ओर बसंत का खुमार छा गया है ...
    मस्त ...

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  10. चित्र शब्दों क बयाँ कर रहे है.... या शब्द चित्र को बयाँ कर रहे है.... पर जो भी दिल के सारे एहसास उकेर कर शब्दों में आ गए है......

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  11. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें

    प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
    प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है

    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

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