हिंदी हमारी शान है हिंदी पर अभिमान है
माना कि अंग्रेजियत के आगे हिंदी बौनी होती जा रही है लेकिन यह भी सही है कि आज भी अपने विस्तृत क्षेत्र में हिंदी शान से अपने पूर्ण स्वरुप के साथ दबंग बन जन - मानस के बीच है। गली - मोहल्ले से लेकर चौपाल और चाय की दुकान से भीड़ भरे बाजार में कई स्वरूपों में आंचलिकता को स्पर्श करती हुई घूम रही है अंग्रेजी को चुनौती देते हुए। भले ही साहित्यिक मंडली में हिंदी अपने सुन्दर शब्दों के साथ प्रस्तुत होती है और शब्दों को प्रयोग करने वाले विद्वान भी उसके प्रयोग से स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं लेकिन जहाँ साहित्य नहीं है वहाँ भी हिंदी अपने अलग स्वरुप में विद्यमान रहती है। क्षेत्रीय भाषाओं ने कभी भी हिंदी से प्रतिस्पर्धा नहीं की बल्कि उन्हें हिंदी के गले में सजी हार के रूप में देखा जा सकता है जो विभिन्न रत्नों के रूप में चमकती हुई हिंदी का मान बढ़ाती प्रतीत होती हैं।
आम जनता के बीच सबसे अधिक समझी जाने वाली, बोली जाने वाली भाषा हिंदी अपने देश में ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है क्योकि अंग्रेजी से कठिन मुकाबला है इसका तथा समाज के उच्च शिक्षित लोग अंग्रेजी को ही समर्थन दे रहे हैं। सरकार इसे राजभाषा तो मानती है लेकिन अधिक से अधिक काम अंग्रेजी में ही होती है। फिर भी अपनों से ही परायी होती जा रही हिंदी अपनी पहचान को बड़ी ही बुलंदी से कायम रखी है ।
हिंदी दिवस तो हर साल मनाये जाते हैं और सरकारी औपचारिकतायें पूरी होने बाद हिंदी पुन: अकेली हो जाती है पर उसके सच्चे साथी वे लोग हैं जो आज भी हिंदी पर गर्व करते है और गर्व से हिंदी बोलते हैं। हिंदी हमारी शान है हिंदी पर अभिमान है।
सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस पर खुश हूँ
हिन्दी की वजह से आप-हम मिले
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसहमत ... आम इन्सान जो रोज़ भाषा का प्रयोग करता है वो ही इसके विस्तार की वजह है ... ओर ऐसे लोग ही सच्चे हकदार हैं बधाई के ...
जवाब देंहटाएंबधाई हिंदी दिवस की ...
सार्थक चिंतन!
जवाब देंहटाएंहिन्दी पर गर्व करें ....
जवाब देंहटाएंउसके सच्चे साथी वे लोग हैं जो आज भी हिंदी पर गर्व करते है और गर्व से हिंदी बोलते हैं। हिंदी हमारी शान है हिंदी पर अभिमान है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार ! हिंदी दिवस पर बधाई !
हिंदी हमारी शान है हिंदी पर अभिमान है।
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बिखरे स्वर.
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-09-2013) के चर्चामंच - 1369 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद ................
हटाएंसटीक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत - बहुत धन्यवाद ................
जवाब देंहटाएंsundar sarthak prastuti Sandhya ji .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाषा
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जंगल की डेमोक्रेसी
बिल्कुल सही.......
जवाब देंहटाएंहिंदी को सही स्थल दिलाना हमारा भी कर्तव्य...
उत्तम विचार, भला कोन सहमत नहीं होगा इस विचार से
जवाब देंहटाएंहिन्दी की जय हो!
जवाब देंहटाएंहिंदी हमारी शान है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
इसीलिए मेरा इकलौता ब्लॉग है जो इतने गूढ़ विषय पर हिन्दी में बात करता है
जवाब देंहटाएंसिर्फ हिन्दी और सिर्फ हिन्दी
sahi bat hindi hai to sab kuchh hai ..
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट विजय दशमी की बधाई मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
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