लालू की विरासत
लालू जी तो अब जेल से ही अपनी विरासत संभालेगे लेकिन उनके बिना उनकी पार्टी का क्या होगा ये तो सभी जानते हैं। बिहार के लोग लालू राज का आनंद भोग चुके हैं और अब लगता नहीं, पुनः राबड़ी का आनंद लेंगे फिर भी सत्ता का सुख बड़ा ही प्यारा होता है तो जुगत तो लगानी ही होगी उनकी पार्टी को क्योंकि बहुत दिनों से कुछ भी नसीब नहीं हो रहा राजद नेताओं को , नितीश जी तो पूरी मुस्तैदी से विराजमान हैं। इधर रामविलास पासवान के पास तो गिनती के नेता हैं और वो भी पारिवारिक लोग ही , देखते हैं चिराग पासवान कौन सा तीर मारते हैं बेचारे हीरो बनने गए थे वापस पिता की विरासत सँभालने आना पड़ा। लालू तो अपने बेटे तेजस्वी को जनता के बीच नेता के रूप में प्रस्तुत कर चुके है , अब देखना ये है , माँ - बेटे मिलकर पार्टी की साख बचा पाते हैं या नहीं।
अब तो लगता है देश में माँ-बेटे और बाप - बेटे की पार्टी रह गयी है क्योंकि उमर अब्दुल्ला और अखिलेश यादव तथा हेमंत सोरेन उदाहरण के रूप में हैं ही तो क्या राबड़ी भी सोनिया गाँधी की तरह सशक्त माँ बन पायेगी ?
फिलहाल तो लालू के जेल जाने पर खुशियाँ मनाने वाले भी बहुत हैं और दुःख मनाने वाले भी। समय सारे सवालों के जबाब स्वयं देगा। अभी तो नमो की ताकत को देखना है।
प्रभावी-
आभार आदरणीया -
सही कहा है . जनता तो केवल दर्शक भर ही है..
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ लेख...
जवाब देंहटाएं:-)
विरासत का पता तो आने वाला समय में ही मालुम पडेगा !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच दोहे,
bahut sundar aalekh janta sab tay kar deti hai, samay kee baat hai
जवाब देंहटाएंइस खेल में जनभावनाऔर जनकल्याण की अनदेखी निश्चित है
जवाब देंहटाएंदेश घ की जागीर बन के रह गया है कुछ लोगों के लिए .. लालू भी उसी में से एक हैं ...
जवाब देंहटाएंकांग्रेस सरकार कुछ की बाली चढ़ा कर अपना स्वार्थ साधेगी ... हालांकि लालू को सज़ा मिली तो कुछ तो न्याय के ऊपर विश्वास पैदा हुआ ही है ।
जवाब देंहटाएंलालू को अपने किये का फल मिला.... दुआ करें की नितीश सरकार बरक़रार रहे ...
जवाब देंहटाएंसामयिक आलेख...
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ आलेख...
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