गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

लालू की विरासत

                                     लालू की विरासत 

लालू जी तो अब जेल से ही अपनी विरासत संभालेगे लेकिन उनके बिना उनकी पार्टी का क्या होगा ये तो सभी जानते हैं।  बिहार के लोग लालू राज का आनंद भोग चुके हैं और अब लगता नहीं, पुनः राबड़ी का आनंद लेंगे फिर भी सत्ता का सुख बड़ा ही प्यारा होता है तो जुगत तो लगानी  ही होगी उनकी पार्टी को क्योंकि  बहुत दिनों से कुछ भी नसीब नहीं हो रहा राजद नेताओं को , नितीश जी तो पूरी मुस्तैदी से विराजमान हैं। इधर रामविलास पासवान के पास तो गिनती के नेता हैं और वो भी पारिवारिक लोग ही , देखते हैं चिराग पासवान कौन सा तीर मारते  हैं बेचारे हीरो बनने गए थे वापस पिता की विरासत सँभालने आना पड़ा।  लालू तो अपने बेटे तेजस्वी को जनता के बीच नेता के रूप में प्रस्तुत कर चुके है , अब देखना ये है , माँ - बेटे मिलकर पार्टी की साख बचा पाते  हैं या नहीं। 

               अब तो लगता है देश में माँ-बेटे और बाप - बेटे की पार्टी रह गयी है क्योंकि उमर अब्दुल्ला और अखिलेश यादव तथा हेमंत सोरेन उदाहरण के रूप में हैं ही तो क्या राबड़ी भी सोनिया गाँधी की तरह सशक्त माँ बन पायेगी ? 

              फिलहाल तो लालू के जेल जाने पर खुशियाँ मनाने वाले भी बहुत हैं और दुःख मनाने वाले भी।  समय सारे सवालों के जबाब स्वयं देगा। अभी तो नमो की ताकत को देखना है। 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा है . जनता तो केवल दर्शक भर ही है..

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  2. विरासत का पता तो आने वाला समय में ही मालुम पडेगा !

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  3. इस खेल में जनभावनाऔर जनकल्याण की अनदेखी निश्चित है

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  4. देश घ की जागीर बन के रह गया है कुछ लोगों के लिए .. लालू भी उसी में से एक हैं ...

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  5. कांग्रेस सरकार कुछ की बाली चढ़ा कर अपना स्वार्थ साधेगी ... हालांकि लालू को सज़ा मिली तो कुछ तो न्याय के ऊपर विश्वास पैदा हुआ ही है ।

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  6. लालू को अपने किये का फल मिला.... दुआ करें की नितीश सरकार बरक़रार रहे ...

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