रविवार, 4 अगस्त 2013

     दोस्ती 


















दोस्ती वह बंधन नहीं है 
जो रिश्तों की डोर से बंधी होती 
न ही  सिमटी होती 
निश्चित दायरे में 
यह  निकलती है 
एक पतले धागे के रूप में 
मन के किसी कोने से 
और परत-दर-परत 
मोटी  होती जाती है 
अनगिनत अहसासों से 
जो महसूस किये जाते हैं 
किसी उस "अपने" से 
जिसके होते हैं हम "अपने"
अपना लिए जाते हैं 
जिसके हिस्से की खुशियाँ और गम 
जो दर्शाए नहीं जाते 
महसूस किये जाते  हैं 
कि भीड़ में से कोई कब 
अपना "अजीज" बन गया 
साथ ऐसे चल पड़ा कि 
दोस्त अपना बन गया …………। 



19 टिप्‍पणियां:

  1. सच है दोस्त जाने कब जुड़ जाते हैं हमसे..... वो भी सदा के लिए

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  2. बहुत सुंदर , ढेरो शुभकामनाये मित्र दिवस की

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति....
    आपको भी दोस्तों की दोस्ती मुबारक :-)

    अनु

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  4. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।

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  5. मित्रता एक अनमोल जज्बा है..सुंदर रचना !

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  6. दोस्ती को बाखूबी बयाँ किया है ... सच है ये डोर समय के साथ मोटी होती जाती है ... मित्रता दिवस की शुभकामनायें ...

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  7. बहुत सुंदर रचना है।
    शुभकामनाएं..

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  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती, मित्रता दिवस की शुभकामनायें ...

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना....
    मित्रता दिवस की शुभकामनायें ....
    :-)

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  10. सार्थकता लिये सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ...

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  11. दोस्ती एक रिश्ता जो स्वार्थ के दायरे के बाहर ही फलता-फूलता है
    सुंदर रचना

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  12. बहुत ही सुंदर और सार्थक.. मित्रता सबसे अनमोल जज्बा है ..

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  13. सुन्दर ,सटीक और प्रभाबशाली रचना। कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  14. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें!!! आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

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  15. दोस्त अपनी मर्ज़ी के होते हैं..इसलिए और अधिक प्रिय होते हैं.....

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