शनिवार, 13 जुलाई 2013

   पहचान 



नदी  में चंचलता थी
नवयौवना सी तीव्रता थी
इतराती , बलखाती
प्रेयसी बन उतावला थी



सागर की व्यग्रता
उसे बार - बार खीचती
उठती - गिरती लहरों से
आमंत्रित करती



नदी की चाल और तेज होती
धाराएँ  बदल वो दौड़ लगाती
अपनी ही धुन में भागती
सागर की आगोश में जा गिरती



सागर से मिल नदी
मौन हो गयी
प्रेम में पागल थी
प्रेम में विलीन हो गयी



पर अब भी नदी बेचैन थी
सागर के दिल में कैद थी
आकुलता - व्याकुलता
आंदोलित मन, नदी की चाहत
अपनी पहचान की तड़प
क्योंकि नदी अपनी पहचान
सागर से मिल खो चुकी थी| 

23 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भाव एवं अभिव्यति भी .....!!
    शुभकामनायें .

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  2. किसी सूरत में चैन नहीं....
    यही तो जीवन है.

    सुन्दर रचना.

    अनु

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  3. सुंदर चित्र और गहरे भाव !

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  4. नदी की तो नियति ही यही थी ... उसकी चाह भी यही थी .. फिर भी अपनी पहचान को तडपती है ... शायद प्रेम को पूर्ण रूप से नहीं पहचान पाती ...

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार१६ /७ /१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  6. बहुत सुन्दर भाव का लाजवाब अभिव्यक्ति !
    latest post सुख -दुःख

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  7. अपनी पहचान की तड़प
    क्योंकि नदी अपनी पहचान
    सागर से मिल खो चुकी थी|
    भावनाओं का अनूठा संगम ...........

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  8. निसंदेह साधुवाद योग्य लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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  9. आंदोलित मन, नदी की चाहत
    अपनी पहचान की तड़प
    क्योंकि नदी अपनी पहचान
    सागर से मिल खो चुकी थी|

    BAHUT HI SUNDAR RACHANA TIWARI JI ......AABHAR.

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  10. बहुत सुन्दर भाव का लाजवाब अभिव्यक्ति !

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  11. क्योंकि नदी अपनी पहचान
    सागर से मिल खो चुकी थी| -----

    भाव प्रधान बहुत सुंदर रचना
    बधाई

    आग्रह है
    केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------

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  12. खुबसूरत प्रकृति को शब्दों में बांधती रचना...
    खुबसूरत चित्र भी ......

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  13. सागर से मिल नदी
    मौन हो गयी....
    -----------------
    अपना सब कुछ खोकर...हम सब की जिन्दगी भी तो ऐसी ही है ..
    बढ़िया लिखती हैं आप ....

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  14. नदी अपनी पहचान सागर से मिलकर कहो चूँकि थी ,
    हम सभी नदिया जैसे ही हैं ,जिनका लक्ष्य ही सागर से मिलना हैं |
    आध्यत्म भरी पंक्तिया ,आभार
    एक शाम संगम पर {नीति कथा -डॉ अजय }

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  15. बहुत सुंदर रचना, साझा करने के लिए बहुत बहुत आभार

    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_29.html

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  16. बहुत सुन्दर रचना...सीधे दिल को छू लेती है..

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