शनिवार, 6 अप्रैल 2013

जागरूकता

                                                          जागरूकता 


हम महिलाओं का ध्यान भी  देश में राजनीतिक चालों की ओर  बरबस ही चला जाता है, क्योंकि जितनी चालें  हमारे पास हैं उतनी तो उनके पास बिलकुल नहीं हैं  हलाकि हम रोज रोज समाचारों में सब कुछ देखते-सुनते हैं लेकिन फिर अपने कामों में मशगूल  हो जाते हैं। अपने पसंदीदा नेता और पार्टी पर हमारा बयान  भी होता है , समर्थन  भी होता है लेकिन उसका परिणाम कुछ भी नहीं होता । नेताजी वादा तो अवश्य करते हैं लेकिन चुनावों के बाद भूल जाते हैं । यही सब तो होता है राजनीती में और हम भी उसमे बयानबाजी अपनी तरफ से जरुर करते हैं, भले ही वो बयान हमारे बीच ही रह जाती है ।
                 राजनीतिक चालों में नेताजी जरुर व्यस्त रहते हैं लेकिन आज की महिलाएं भी बहुत जागरूक हो गयी हैं। जब भी मौका मिलता है मुँह पर ही खरी-खरी सुना देती हैं और बेचारे नेताजी बगले झांकने लगते हैं । शिक्षित महिलाये तो सब कुछ समझती हैं और वक्त-वे-वक्त अपनी राय भी जाहिर करती हैं लेकिन अशिक्षित और पिछड़े तबके की महिलाएं भी खूब जागरूक हो गयी हैं । हर मुद्दे पर थोड़ी बहुत निगाह उनकी भी होती है और जो उनके लाभ का होता है उनपर टिका-टिप्पणी करने से बाज नहीं आती ।  मेरे पड़ोस में कुछ महिलाएं विधवा पेन्सन और वृद्धा पेन्सन उठाती हैं, जब भी उन्हें समय पर पैसा नहीं मिलता सरकार  को तो  खरी-खोटी सुनाती  ही है साथ ही नौकरशाहों को भी उनके कोप का भाजन बनना पड़ता है । मुझे उनके हौसले और जागरूकता को देखकर महसूस होता है कि वे हमसे भी कई कदम आगे हैं और हम कह सकते हैं कि हमारे  भारत की महिलायें अब  शक्ति के रूप में उभर कर आ रही हैं । हाल ही में एक महिला ने उसके साथ दुष्कर्म करने वाले शैतान को अपने ही घर में आग लगाकर मार डाला । आस-पड़ोस के सभी लोग उस महिला के साथ हैं भले ही पुलिस उसे पकड़कर ले गयी है । 
                 दिल्ली की दामिनी काण्ड ने इतनी जागरूकता फैलाई है कि अब किसी भी लड़की के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है और न ही उसे छुपाने की कोशिश की जा रही है । आवाज हर और से उठ रही है । घरों में उनकी आवाज दबाने वाले भी उनकी हिम्मत और जोश के आगे नतमस्तक हो गए हैं  और जो हाथ उनकी ओर धमकाने को उठते थे , वो अब सहारा भी बनने लगे हैं । जागरूकता इसी को तो कहतेहैं ।    

19 टिप्‍पणियां:

  1. इसी जागरूकता की जरूरत है देश को ... जब नारी जागृत होगी तो समाज अपने आप जीने लायक हो जाएगा ..

    जवाब देंहटाएं
  2. जागरूकता इसी को तो कहतेहैं
    शायद ....
    यकीन करने में अभी थोडा वक़्त लगेगा ....

    जवाब देंहटाएं
  3. दामिनी काण्ड से महिलाओं में जबरजस्त जागरूकता फैलाई है,,,सहमत हूँ !!!

    RECENT POST: जुल्म

    जवाब देंहटाएं
  4. महिलाओं को जागरूक होना बहुत ही जरूरी भी है तभी तो वें अपने हक और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकती है,बहुत ही सार्थक प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं

  5. गहन अनुभूतियों को सहजता से
    व्यक्त किया है
    सार्थक
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspotin
    में भी सम्मलित हों ख़ुशी होगी

    जवाब देंहटाएं
  6. जरूरत है इसी जागरूकता की .... आत्मविश्वास की ...

    जवाब देंहटाएं
  7. जागरूकता ही नारी को सम्मान दिलाएगी, सार्थक पोस्ट !

    जवाब देंहटाएं
  8. बिल्‍कुल सही कहा आपने ...
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. सार्थक पोस्ट...सही कहा आपने.

    जवाब देंहटाएं
  10. वर्तमान को लेकर सहज आकलन। शीर्षक परिंदा भी सार्थक। महिला जगत् परंदों के पंख और चोंच पाए।
    drvtshinde.biogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  11. मंगलवार 23/04/2012को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं ....

    आपके सुझावों का स्वागत है ....
    धन्यवाद .... !!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपने लिखा....हमने पढ़ा
      और भी पढ़ें;
      इसलिए आज 23/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
      पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में)
      आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
      धन्यवाद!

      हटाएं
  12. नवसंवत्सर की शुभकामनायें
    आपको आपके परिवार को हिन्दू नववर्ष
    की मंगल कामनायें

    जवाब देंहटाएं