क्यों री कोयल
तुम फिर कूकने लगी
अमराइयों में
मदमस्त बावरी सी
अपने प्रियतम
ऋतुराज वसंत को
रिझाने में।
सुध बुध खोयी तुम
फिरती हो इधर- उधर चंचल सी
कुहुक- कुहुक उठती हो छिपकर
मंजरियों में
तुम जानती हो, तेरा प्रियतम
पुनः चला जायेगा तुम्हें छोड़कर
इन्हीं फिजाओं में
तब तुम प्रेमोन्नत हो
मौन हो जाओगी , पुनः उसके
विरह में
फिर भी जी लेना चाहती हो तुम
एक एक पल अनुरक्त होकर
एक सीख देती हुई
की जीवन में सुख है
थोड़ा पाने में ।
APKE BLOG TK PAHLI BAR PAHUCH SAKA HOON ....BAHUT ACHHA LAGA ....
जवाब देंहटाएंतब तुम प्रेमोन्नत हो
मौन हो जाओगी , पुनः उसके
विरह में
YATHARTH STHIYON KA SAFALTAM VIVECHAN KE SATH POORN ROOP SE ROCHAKATA KO SAMEJE HUYE ....PRABHAVSHALI RACHANA KE LIYE SADAR ABHAR TIWARI JI .
थोड़ा पाने का सुख ...अच्छा लगा ... आभार
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
jeevan me sukh bahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मृदुल है आपकी यह प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसीख का कोमल अहसास कराती हुई .
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं.
बेहद सुन्दर भावाभिव्यक्ति और सीख .. उम्दा
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंएक सीख देती हुई
जवाब देंहटाएंकी जीवन में सुख है
थोड़ा पाने में ।
Bahut Hi Sunder
सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
संध्या जी ...बहुत आभार आपका... आप मेरे ब्लॉग पर आयीं ....आपका स्वागत है ...!!आपके विचार ,आपकी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा |बड़ी ही कोमलता से आपने अपने विचारों को प्रकट किया है ...बधाई एवं शुभकामनायें .....मुझे उम्मीद है हम एक दूसरे की रचनाओं को पढ़ते रहेंगे अब ....!!
जवाब देंहटाएंकल शनिवार , 25/02/2012 को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
पुनः चला जायेगा तुम्हें छोड़कर
जवाब देंहटाएंइन्हीं फिजाओं में
तब तुम प्रेमोन्नत हो
मौन हो जाओगी , पुनः उसके
विरह में
फिर भी जी लेना चाहती हो तुम
एक एक पल अनुरक्त होकर
एक सीख देती हुई
की जीवन में सुख है
थोड़ा पाने में । ... बिल्कुल
बेहतरीन कविता
जवाब देंहटाएंसादर
एक एक पल अनुरक्त होकर
जवाब देंहटाएंएक सीख देती हुई
की जीवन में सुख है
थोड़ा पाने में ।
बहुत सुन्दर विचार
बहूत हि सुंदर प्रस्तुती..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव अभिव्यक्ती...
bahut hi pyaari rachna hai
जवाब देंहटाएंumda rachna,bdhaai aap ko
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति...
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