मन को आंदोलित करती -------------
कितनी शर्मनाक है यह घटना, रोंगटे खड़े करने वाली । दसवी में पड़ने वाली केरल की एक नाबालिग के साथ बलात्कार, एक बार नहीं बार-बार और पहला अपराधी स्वयं उसका पिता। क्या यह घटना मन को आंदोलित नहीं करती ? हम कहाँ जा रहे हैं? नैतिकता मरती क्यों जा रही है? रिश्ते अपनी मर्यादा क्यों तोड़ रहे है? क्या यह अति की पराकाष्ठा नहीं है?
केरल हाईकोर्ट ने 150 लोगों को आरोपी बनाया है, वो भी अच्छे और उच्च पदस्थ लोग। वाह रे! समाज और वाह रे! हमारी शिक्षा । सब कुछ दम तोड़ती जा रही है । " विद्या से विहीन मनुष्य पशु के सामान है ", नीतिशतक के लेखक शायद यह नहीं जानते थे कि कलयुग में विद्या प्राप्त कर भी मनुष्य पशु बन सकता का है।
दोषियों को सजा मिल भी जाएगी तो क्या वो लड़की फिर से अपना सामान्य जीवन जी सकेगी ? दोषियों को बहुत होगा तो कारावास की सजा मिलेगी , लेकिन वह -------------वह तो रोज हजार बार मरती होगी । अन्याय से लड़ने की हिम्मत ने उसे दलदल से तो अवश्य निकाला , परन्तु न्याय मिलने के बाद भी उसका क्या होगा ?
वो माँ जो ये कहती है कि मौत के डर से अपनी बेटी को इस दलदल में भेजती रही , अगर वो मर ही जाती तो क्या होता , कम-से-कम रोज यह कुकर्म तो नहीं देखती । आज तो वो भी बराबर कि अपराधिनी है साथ ही जीवित रह कर भी मृत हो चुकी है -अपनी बेटी के लिए, समाज के लिए , राष्ट्र के लिए और स्वयं अपनी आत्मा से । इन सभी अपराधियों को माफी नहीं मिलनी चाहिए।
न्याय अवश्वय मिले पर साथ ही न्यायालय उस लड़की के भविष्य को सुरक्षित करने हेतु भी कुछ उपाय करे । सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाएं भी आगे आकर उस लड़की को पुनः जीवन गति प्रदान करे। उसकी सुप्त आत्मा को जागृत करे और नवजीवन के पथ पर अग्रसर करे, यही हमारी कामना है।
aisee dil dahlanevali ghatna dinodin aam bat hoti ja rhi hai sandhya jee aadmi sharirik sukh ke liye rishton ko bhula baitha hai haivaniyt ki prakashtha hai ye.
जवाब देंहटाएंआखिर कब तक ऐसी ओछी हरकतों से हम शर्मसार होते रहेंगे..?
जवाब देंहटाएंईश्वर सद्बुद्धि दे
जवाब देंहटाएंsabse badi baat.....us ladki ka atmvishwash hamesha kay liye khatam ho jata hai....har vyakti may usay wahi vehshat nazar aati hai...kya kabhi zindagi may wo sambhal payegi...ye kyu nahi soocte log...
जवाब देंहटाएंsabse badi baat.....us ladki ka atmvishwash hamesha kay liye khatam ho jata hai....har vyakti may usay wahi vehshat nazar aati hai...kya kabhi zindagi may wo sambhal payegi...ye kyu nahi soocte log...
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