मंगलवार, 25 जनवरी 2011

                         आओ चलें गणतंत्र दिवस है 
चारो ओर गणतंत्र दिवस की तयारी हो रही है. खासकर स्कूलों में काफी उत्साह है. अच्छा लगता है बच्चों का उत्साह देखकर और याद आ जाता है अपना दिन. देश भक्ति गीतों से मान में रोमांच भर जाता था. हम भी काफी तैयारी करते थे इस दिन की लेकिन समय के साथ जो बदलाव आया है वह मन को ब्यथित कर देता है. लोगों में अब गणतंत्र दिवस के लिए औपचारिकता मात्र रह गयी है. हाँ वैसे लोग भी हैं जो आज भी देशप्रेम से भरे हैं और इस दिन का सम्मान करते हैं पर यह भी सही है कि बहुत सारे लोग इस दिन छुट्टियाँ मनाने बाहर चले जाते हैं . उनके लिए यह दिन कोई महत्व नहीं रखता और कई तो यह भी नहीं जानते कि इस दिन का क्या महत्व है. जिस तिरंगे के लिए हमारे देश के वीरों ने अपनी जान गवां दी और यातनाओं को हँसते हँसते सहे,  उस तिरंगे को बस हमें संभालकर सम्मान से रखना है. क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि हम भी अपना योगदान दें और देश के लिए थोड़ा समय निकालकर अपने तिरंगे को सलामी दें. बस हमारा थोड़ा सा समय हमारी अगली पीढ़ी के लिए एक सीख होगी कि वे भी हमारी परम्परा को आगे बढ़ाएं . यह तिरंगा हमसे कुछ नहीं मांगता बल्कि हमें ही पहचान देता है कि हम भारतीय हैं, तो हमें भी उसके सम्मान के लिए स्वेच्छा से आगे बढ़ना होगा . हमारा यह कदम मात्र सरकारी आदेश न हो बल्कि हमारी स्वयं कि इच्छा हो. तो आओ कदम बढ़ाएं और तिरंगे और हमारे संविधान के सम्मान में खुद को भी शामिल होने का गर्व प्राप्त करें .

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