शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

रूद्र देवता का एक रूप जहाँ संहारक था वही विपतियों से निवारण की शक्ति भी उनमे थी। जब उनका उग्र और संहारक रूप शांत हो जाता है तो वे शंकर, शिव या शम्भू बन जाते हैं। इन्हे भोला भी कहा जाता है क्योंकि ये भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं।
शिव सर्वब्यापी और पूर्ण ब्रम्हा हैं और इनके रूप और गुण भी अनंत है ।
लोक्धात्री तिव्यां भूमिः पादो सज्ज्न्सेवितो ।
सर्वेषाम सिध्योगानाम्धिष्ठान्म तवोद्रम ।
मध्येन्त्रिछ्म विस्तिर्न्म तारगंविभुशितम ।
तारापथ एवाभाती श्रीमान्हार्स्त्वोरसी ।
दिशा दश भुजस्ते वे केयुरंग्द्भुशितः ।
विस्तीर्ण परिनाह्स्च निलाम्बुद्च्योप्म्ह ।

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