ले आयी वसंत
मुझे लगा वसंत मेरे घर इस बार नहीं आएगा ………मेरी दहलीज से पार कर जायेगा और मैं यूँ ही मौन बैठी रह जाऊँगी ................... पर हार नहीं मानी ,.......... ले आयी अपने घर हौले से खुशियां भर देने की उम्मीद के साथ.……… अपने उदास मन में पुनः स्फूर्ति भर देने के लिए ………बोल आयी कोयल को कुहुकने के लिए अपनी अमराइयों में ………जहाँ निकल आयी मंजरियाँ थिरकने को तैयार बैठी बस कोयल की मधुर तान और उनका झूम उठना ……… यही तो है जीवन का संचार और मैं बैठ गयी थी मौन ……… बना लिया था एक सीमीत दायरा ................ नहीं सुन पा रही थी बावरे वसंत की आह्ट ………… दरवाजे पर उसकी दस्तक ………… बगीचे में खिले रंगीन फूलों के बीच से सर्र से उसका निकलना ……… और मेरे खुले लम्बे बालों को छेड़ना ………मेरी खोयी हँसी .......... ले आयी वसंत ...................... . ।
वाह ! कितना सुंदर है जीवन में बसंत का आना... हरेक के जीवन में यह वसंत आ सकता है, कोयल की कूक और अमराइयों की सुगंध भर जाये जब बाहर तो कैसे रह सकता है अनछुआ भीतर का स्वर..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद .........
हटाएंअब तो बसंत आ गया न .... ह्रदय में उमड़ते.. घुमड़ते....
जवाब देंहटाएंयही हौसल रहे ..... जो पाने की इच्छा हो उसे पा कर ही दम लें .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ..........आप सभी का साथ बना रहे तो मन सारे दुःख भूल जाता है ............
हटाएंऐसा हो ही नहीं सकता वसंत किसी को बिना मोहित किए गुजर जाये ....बहुत खुशी हुई ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद .........
हटाएंबसंत तो आता ही है .. कई बार हमारी नज़रें उसे नहीं देख पाती हैं ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र और भाव ...
धन्यवाद ..........आप सभी का....................
हटाएंहार नहीं मानना और उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना, गुज़रे हुये बसंत को भी दुबारा खींच लाता है... यह तो आसन्न बसंत हैओ, आता कैसे नहीं!! एक शोख़ी जो इस रचना में है, वही इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है!!
जवाब देंहटाएंऔर सबमें जिला भी दिया बसंत को.. अति सुन्दर..
जवाब देंहटाएंहमारे चाहने भर की देर होती है बसंत को आना ही है.... बहुत सुंदर रचना ...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - फागुन की शाम.