एक संस्मरण शिव के धाम का
शिव की महिमा अपरम्पार है . मुझे भी मौका लगा सावन में भोले भंडारी के दर्शन का और उठा ली इस शुभ अवसर का लाभ . कोई तीन साल पहले की बात है . मेरे पति बोले चलो इस बार तुमको भी सावन में बासुकीनाथ धाम ले चलते हैं , चूकि वे हर साल गाड़ी से अपने दोस्तों के साथ बाबा को जलार्पण करने जाते हैं लेकिन मैं कभी भी उनके साथ नहीं जा पायी थी सो वे मुझे भी इस बार अपने साथ ले गए . इस बार सिर्फ हमदोनो ही साथ गए . बासुकीनाथ धाम झारखण्ड के दुमका जिले में है . लाखों लोग उत्तरवाहिनी का जल भागलपुर से भरते हैं और पैदल ही यात्रा करते हैं . ऐसी मान्यता है कि देवघर अर्थात बाबाधाम में अपने मन्नतों की अर्जी लगाने के बाद बासुकीनाथ बाबा के पास अवश्य जाना पड़ता है क्योंकि ये फौजदारी बाबा कहे जाते है. भक्त की अर्जी तुरंत सुनते हैं. कई लोग तो ऐसे हैं जो बाबा के द्वारे धरना देते हैं और अपनी मन्नत पूरी होने के बाद ही वापस जाते हैं .धरना देने वाले भक्त दिन भर फलाहार पर रहते हैं और शाम की आरती के बाद अरवा भोजन करते हैं तथा अपना सारा समय बाबा की आराधना और मंदिर परिसर की सफाई में बिताते हैं .ऐसे भक्तों को बाबा स्वप्न के माध्यम से उनकी मन्नत पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं और यदि उनकी मन्नत पूरी नहीं करनी होती तो वापस जाने का आदेश भी स्वप्न के माध्यम से ही दे देते हैं. मेरे परिचित एक ऐसे ही व्यक्ति थे (अभी हाल ही में उनका निधन हुआ है ) जिन्होंने बाबा के द्वारे धरना दिया था , चूकि वे स्वयं दोषी थे और अपनी रक्षा के लिए ही बाबा द्वारे गए थे , परन्तु बाबा ने उन्हें स्वप्न में वापस जाने का आदेश दे दिया .उन्होंने जब ये बात मुझे बताई तो मैं अचंभित हो गयी . अपनी गलती की सजा उनको भुगतनी पड़ी . बाबा का न्याय देखकर मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ .
भोले बाबा की कृपा से मैं भी सावन में उनके द्वार पहुँच गयी . भीड़ इतनी थी कि बिछड़ने के बाद मिलना असंभव जान पड़ता, चारो और केसरिया वस्त्र धारण किये लोग ही दिख रहे थे . महिलाएं भी इसी रंग में रंगी थी . मैं हलके नीले रंग की साड़ी में थी और मुझे काफीअफसोस हो रहा था कि मैंने केसरिया रंग की साड़ी क्यों नहीं पहनी , शायद बाबा की यही मर्जी थी . इतनी लम्बी लाइन लगी थी कि दर्शन असंभव लग रहा था .महिलाओं की लाइन थोड़ी छोटी थी फिर भी भीड़ में जाने में मुझे बहुत डर लग रहा था। मेरे पति तो भीड़ की वजह से मंदिर परिसर से बाहर ही खड़े रहे और मैं महिलाओं की लाइन के पास जाकर खड़ी हो गयी . इतनी लम्बी लाइन देखकर मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ . मन ही मन बाबा से प्रार्थना करने लगी कि मुझे दर्शन दे , बिना दर्शन के वापस न लौटाएं . अचानक एक सिपाही आया और मुझे आगे ले जाकर महिलाओं की लाइन में लगा दिया . मुझसे आगे सिर्फ आठ या दस महिलाएं होंगी . सिपाही मुझे मैडम कहकर संबोधित कर रहा था शायद इसीलिए अन्य महिलाओं ने मेरे आगे लाइन में लगने का विरोध नहीं किया .तभी भगदड़ मची और मेरे आगे की महिलाएं एक-दूसरे पर गिर पड़ी .मैं डर गयी और लाइन से निकलकर खड़ी हो गयी, तब वही सिपाही फिर आया और मुझे फिर से लाइन में लगा दिया . बाबा मंदिर में मैं प्रवेश कर गयी और बाबा को जल चढाते हुए लगातार रोये जा रही थी . मेरा दिमाग एकदम शून्य हो गया था , कुछ याद नहीं था कि मैं कहाँ हूँ और कौन हूँ ? वो तो एक महिला मेरा हाथ पकड़कर मुझे बाहर ले आई , फिर पार्वती जी की पूजा करने गयी लेकिन मेरे पास चढाने के लिए न तो तो जल था और न ही फूल , क्योकि सब मैं बाबा को ही चढ़ा दी थी . मैं चुपचाप खड़ी थी तभी एक महिला आई जो दूध बेच रही थी . उसने मेरे लोटे में दूध डाल दिया और साथ में फूल भी . इसके लिए उसने मुझसे पैसे भी नहीं लिए . पता नहीं यह माता की कृपा थी या संयोग , मैं तो बस विवेकहीन हो सिर्फ पूजा में मगन थी , वो भी सब कुछ यंत्रवत था मानो माता स्वयं मुझसे सब रही हैं .बहुत ही अदभूत अनुभव था वह ,जो वास्तव में अवर्णीय है . मैं इसके बाद भी कई बार बासुकीनाथ गयी लेकिन वो अनुभूति नहीं पा सकी .
मैं अपने अनुभव से यह जरुर बोल सकती हूँ कि सावन में बाबा स्वयं विराजमान होते हैं और अपने भक्तों की पूजा अवश्य स्वीकार करते हैं .
भावविभोर कर दिया आपकी पोस्ट ने.....
जवाब देंहटाएंआप बडभागी हैं जो आपने ये अनुभव किया....
जय भोले बाबा की.....
अनु
ये अनुभव मैं आप सभी के साथ बाँटना चाहती थी ........
हटाएंसुंदर संस्मरण शिव के धाम का,,,,
जवाब देंहटाएंजय भोले भंडारी की ,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या बात
कहते हैं सच्ची आस्था हो तो प्रभू के दर्शन जरूर होते हैं किसी न किसी रूप में .... और भोले बाबा तो वैसे भी भोले बाबा हैं ... जय हो भोले नाथ की ... लाजवाब और सुन्दर संस्मरण ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ........
हटाएंयह है बुधवार की खबर ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।
आइये-
सादर ।।
भाव पूर्ण संस्मरण .... इसी को हम चमत्कार भी कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंसावन में सजने लगा, पावन शिव का धाम।
जवाब देंहटाएंगली-गली में गूँजता, बम-भोले का नाम।।
आपकी यह प्रस्तुति भावविभोर कर गई ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण संस्मरण सच्ची आस्था दिल में हो तो सब काम स्वतः बन जाते हैं बहुत अच्छा लगा पढ़कर
जवाब देंहटाएंआस्था ही तो है जो जनसैलाब उमड़ पड़ता है बाबा के द्वार
हटाएंDil se nikle bhaav...
जवाब देंहटाएं............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...