हमारे त्यौहार और हमारी सोंच
काफी वयस्तता के बीच नवरात्री की धूम रही और अंत में माँ दुर्गा की अश्रुपूर्ण विदाई के बाद का खालीपन , यही है जिन्दगी का रंग . पुनः एक स्फूर्ति के साथ दीपावली की तैयारी में व्यस्त हो जाना और जीवन को भरपूर जीना. भारतीय त्योहारों की विशेषता अनोखी है. हमारे त्यौहार हमें जोड़ते हैं और अपने देश की परम्परा को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए सचेत भी रहते हैं . रावन को जलाने की एक परम्परा चल रही है जो अगली पीढ़ी तक कायम रहेगी और आगे भी जाएगी. हम जिन बुराइयों को समाप्त करना चाहते हैं उसे रावन के माध्यम से मर डालने की कोशिश करते हैं.
मजे की बात ये है कि परम्पराओं के माध्यम से हम राजनीती से लेकर सामाजिक बुराइयों तक कटाच करते हैं और समाज के सामने सच प्रस्तुत करते हैं. हमारा ये प्रयास अवश्य ही सुधारात्मक होता है और इसके पीछे यह मनसा होती है कि समाज में बदलाव आये.
आब हम लच्क्ष्मी माता के आगमन कि तैयारी करेंगे और प्रकाश के द्वारा जीवन का अंधकार भगाने का प्रयत्न करेंगे . ईश्वर करे इस त्यौहार में सबके जीवन में प्रकाश फैले.
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