शनिवार, 11 जून 2011

           चुनौती 
फिर उम्मीद टूटी 
निराशा  जाग उठी 
अँधेरा बढ़ता गया
दिए की एक लौ  ने    
चुनौती दी कि आगे बढ़ो 
मुकाबला करना होगा
अँधेरे को भागना होगा
तू डर मत 
है कठिन पल 
अकेले का सफर 
कठिन है डगर 
फिर भी रख हिम्मत 
ऐ निराश मन 
चल उठ बढ़ 
मंजिल अभी दूर है 
तो तुझमे भी जुनून है
रख हिम्मत निडर बन 
बढ़ा कदम 
तू जीत जायेगा 
अँधेरा भाग जायेगा 
अब मिलेगी रौशनी  जो 
साथ देगी उम्र भर 
जीत जा तू यह चुनौती 
यह चुनौती, यह चुनौती .
      

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