रविवार, 15 मई 2011

बाईस लाख में दूल्हा बिका  और दुल्हन----------

वाह रे समाज और यहाँ बसे लोभ , हम तरक्की कर मंगल पर निवास करने की सोंच रहे है पर क्या वहां भी दहेज़ के लिए हम मुंह बाए खड़े रहेंगे? काफी व्यथित कर गया मुझे यह समाचार जो मेरे पड़ोस का ही है. बेचारा दूल्हा बलि का बकरा बन गया.
                          हुआ ये की लड़का बैंक में पीओं  है और उसके लिए रिश्ते भी अनेक आये. पता नहीं उसकी किस्मत में क्या लिखा था कि घरवालों कि लालची नियत ने उसे दहेज़ कि मंदी में बेंच दिया, कीमत लगी बाईस लाख और बेचारा हलाल हो गया .
                       बात येही तक नहीं रही , बारात शान से निकली तथा दुल्हन अगले दिन ससुराल आई, पर हाय रे किस्मत लड़के की भी नीलम हो गयी. ससुराल में आकर वो छत से कूदने लगी, बाल नोचने लगी और जो कोई  उसके पास आता उसे काटने लगती. इधर रिसेप्सन की तैआरी और  उधर दुल्हन की बीमारी यानि पागल लड़की से पैसे का लालच देकर शादी कर दी गयी और धन के लोभ में लड़का पछ यह भी नहीं जान पाया की लड़की पागल है, तो अब यह दोष किसका है और लड़का बेचारा क्या करे?
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें