शनिवार, 8 मार्च 2014

                             महिला दिवस रोज ही होता है 


महिला दिवस की शुभकामनाएँ…………… बधाईयाँ मिलती जा रही है। सोंचती हूँ क्या महिला दिवस के दिन महिलाओं के दिन की शुरुआत अलग ढंग से होती है ? मुझे तो नहीं लगता कि सुबह उठते ही महिलाओं को बेड टी के साथ बड़े प्यार से जगाया जाता हो और पति देव कहते हों आज किचन और बच्चे हम  ही सम्भाल लेते हैं।


कितने पति तो अखबार के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए जोर-जोर से पढ़ के सुनाते हैं कि आज महिला दिवस है एक काम करना पनीर दो प्याजा बना देना तुम्हें बहुत पसंद है न और साथ में शाही पुलाव बन जाए तो खाने का मजा ही आ जायेगा ................ उधर से बेटा  बोलता है........ मम्मी .... गरम -गरम कचौड़ियाँ बनाना मत भूलना ……… पापा बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलते हैं ....... अरे बेटा ये भी कोई बोलने की  बात है .... मम्मी और तुम्हारी पसंद नहीं बनाएगी……… हो ही नहीं सकता। 

अरे ! दादी इधर आओ आज महिला दिवस है और मम्मी कुछ स्पेशल बनाने वाली है ……सच ……लेकिन बेटा मैं और तेरे दादाजी तो सादा खाना ही खाते हैं , हमारे लिए तो बस सादी रोटी और सब्जी , अगर मन होगा तो बैगन का भरता भी बना देना बेटी तेरे बाबूजी कई दिनों से बोल रहे थे बनाने के लिए। 

क्या हो रहा है ………कुछ नहीं दादाजी आज महिला दिवस है ……… हाँ बेटा सो तो है………………… चल जा अपनी मम्मी को बोल सबके लिए गरमा-गरम चाय बनाये और मेरे पास आकर बैठे , कुछ पूछना है उससे। 

लीजिये बाबूजी आप सभी की  चाय हाजिर है …………… क्या पूछना है मुझसे ?
अरे बेटी महिला दिवस पर सेमिनार में जाना है और तेरी हिंदी तो अच्छी है सो कुछ लिख दे ,वही ले जाकर पढ़ देंगे……… 

क्या लिखें बाबूजी हर दिन की शुरुआत ही महिलाओं से होती है इसलिए रोज ही महिला दिवस है………