मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

क्या हुआ कि नदी सुख कर 
दुबली होती जा रही,
क्या हुआ कि धरती 
आग भी उगलती जा रही ,
क्या हुआ कि मेघ 
रूठकर चलते बने ,
क्या हुआ कि हवा 
आंधी बनकर जाग उठी 
क्या हुआ कि सागर 
क्रोध में बौरा गया ,
क्या हुआ कि आदमी 
अपना ही दुश्मन  बन रहा ,
क्या हुआ कि प्रेम की
दुश्मन ही प्रेम बन रही ,
क्या हुआ कि ...........