मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

शांति की खोज

शांति की खोज में हम कितना भटकते है फिर भी मन अशांत रहता है आखिर क्यों? मन की उलझान को असीम शांति की ओर ले जाने का हमारा प्रयास यह सूचित करता है कि हम वापस अपनी पुरातन परम्परा की ओर लौट रहें है. वेदों की जो प्राचीन परम्परा रही है वह अब हमें वापस अपनी ओर खीच रही और हम पुनह जप तप हवन की शरण में है। काफी अछा लग रहा है अपनी परम्परा को पुनह सँभालते.